Monday 30 January 2017

एडोल्फ़ हिटलर




30 जनवरी सन 1934 ईसवी को जर्मनी के जातिवादी तानाशाह एडल्फ़ हिटलर का शासन काल आरंभ हुआ। एडोल्फ हिटलर (२० अप्रैल १८८९ - ३० अप्रैल १९४५) एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता एवं तानाशाह थे। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। इस पार्टी को प्राय: "नाजी पार्टी" के नाम से जाना जाता है। सन् १९३३ से सन् १९४५ तक वह जर्मनी का शासक रहे। हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब उनके आदेश पर नात्सी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनो ने नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।

हिटलर का उत्थान

प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जहाँ एक ओर तानाशी प्रवृति का उदय हुआ। वहीं दूसरी और जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाजी दल की स्थापना हुई। जर्मनी के इतिहास में हिटलर का वही स्थान है जो फ्रांस में नेपोलियन बोनाबार्ट का, इटली में मुसोलनी का और तुर्की में मुस्तफा कमालपाशा का। हिटलर के पदार्पण के फलस्वरुप जर्मनी का कार्यकलाप हो सका। उन्होने असधारण योग्यता, विलक्षण प्रतिभा और राजनीतिक कटुता के कारण जर्मनी गणतंत्र पर अपना अधिपत्य कायम कर लिया। जर्मनी में हिटलर का अभ्युदय और शक्ति की प्राप्ति एकाएक नहीं हुई। उनकी शक्ति का विकास धिरे- 2 हुआ। उनका जन्म 20 अप्रैल 1889 . में आस्ट्रिया के एक गाँव में हुआ था। आर्थिक कठिनाईयों के कारण उसकी शिक्षा अधुरी रह गई। वे वियेना में भवन निर्माण कला की शिक्षा लेना चाहते थे। लेकिन उसके भाग्य में तो जर्मनी का पुर्णनिर्माण लिखा था। प्रथम विश्व युद्ध से ही उनका भाग्योदय होने लगा। वे जर्मन सेना में भर्ती हो गए। उन्हें बहादुरी के लिए Iron Cross की उपाधि मिली। युद्ध समाप्ति के पश्चात् उन्होंने सक्रिय राजनीति में अभिरुची लेना शुरु किया।
नाजीदल की स्थापना-
1919 में उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन श्रमिक दल की स्थापना की। इस दल को नाजी दल कहा जाने लगा। इस पद का पद चिन्ह स्वास्तिक था। दल के सदस्यों को कठोर अनुशासन का पालन करना पड़ता था। सदस्य भुरे रंग की वर्दी पहनते थे। और बाँह पर काले रंग की पट्टी पर दल का चिन्ह लगाते थे। इस दल के निश्चित कार्यक्रम थे जैसे- वर्साय संधि की समाप्ति, सैनिक शक्ति को मजबूत करना, विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना, खोये हुए उपनिवेश को प्राप्त कर यहुदियों को जर्मन नागरिकता से वंचित करना, विदेशियों के लिए जर्मन का दरवाजा बन्द करना, राष्ट्रविरोधी संस्था को समाप्त करना, संसदीय शासन प्रणाली का विरोध करना इत्यादि। उनके जोशीले भाषण और संगठन के तरीके से नाजीदल का तेजी से विकाश हुआ। हिटलर जर्मनी राष्ट्रयता का कट्टा समर्थक था वह एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था। इसके लिए उन्होंने नाजी दल की स्थापना की। देश के विभिन्न भागों में इसकी शाखाएँ खोली गई। 1925 में स्वंयसेवक सेना का गठन किया गया। इसकी सदस्य संख्या निरंतर बढ़ती गई। इसने निर्वाचन में भी हिस्सा लेना शुरु किया। 1932 के निर्वाचन में इसे 230 स्थान प्राप्त हुए। इसके सदस्यों में देशप्रेम कूट-कूटकर भरा था।
हिटलर का चांसलर बनना-
बढ़ते हुए प्रभाव को देखकर उन्हे चांसलर बनने के लिए आमंत्रित किया गया। 1933 में उन्होंने इस पद को स्वीकार कर लिया। 1934 में उन्होने राष्ट्रपति और चांसलर के पद को मिलाकर एक कर दिया। और उन्होंने राष्ट्र नायक की उपाधि धारण की। इस प्रकार उनके हाथों में समस्त सत्ता केंद्रित हो गई। इस तरह अपनी विशिष्ट योग्यता के बल पर निरंतर प्रगति करता गया। और विश्व में महान व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आया। हिटलर तथा उनकी पार्टी के उत्थान के निम्नलिखित कारण थे जो इस प्रकार है।
वर्साय की संधि-
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात यूरोप राष्ट्रों ने वर्साय की संधि की। जिसका प्रमुख उद्देश्य जर्मनी को कुचलना था। इसके द्वारा जर्मनी को आर्थिक राजनीतिक तथा अंतराष्ट्रीय राजनीति की दृष्टि से पुर्णत: पंगु बना दिया गया। वस्तुत: वर्साय की संधि जर्मनी की सारी तकलीफों की जड़ थी। जर्मन निवासी अपने प्राचीन गौरव को पुन: प्राप्त करना चाहते थे। और वह एक ऐसे नेता की तलाश में थे जो उनके राष्ट्र कलंक को मिटाकर जर्मनी के गौरव का पुर्ण उत्थान कर सके। हिटलर के व्यक्तित्व में उन्हें ऐसा नेता की तस्वीर दिखाई दी। उन्हें यह विश्वास हो गया की हिटलर के नेतृत्व में ही जर्मनी का उत्थान संभव है। हिटलर ने वर्साय की संधि की आलोचना करनी शुरु कर दी और लोगों के हृदय में इसके प्रति नफरत पैदा कर दी। उन्होंने जर्मन जाति के एक राजनीतिक सुत्र में बाँध कर लोगों के समक्ष जर्मन निर्माण का प्रस्ताव रखा। वे भाषण देने की कला में प्रवीण थे उनकी वाणी जादू का काम करती थी। यह कहा जा सकता है कि हिटलर ने अपनी जुबान की ताकत से जर्मनी की सत्ता हथिया ली।
जर्मनी स्वभावत: वीर और अनुशासन प्रिय होते है। अत: उन्होंने हिटलर के अधिनायकवाद को स्वीकार कर लिया। हिटलर ने जनता के समक्ष कोई नवीन कार्यक्रम नहीं रखा उन्होने वहीं किया जो व्हीगल, कॉन्ट और किक्टे आदि कर चुके थे। उनकी विचारधारा संपूर्ण जर्मन विचारधारा का निचोड़ ली इसलिए जनता ने उन्हें स्वीकार कर लिया।
आर्थिक संकट-
जर्मनी में आर्थिक संकट के चलते भी हिटलर का उत्थान हुआ। वर्साय की संधि के फलस्वरुप जर्मनी की आर्थीक स्थिति काफी खराब हो गई थी। हिटलर ने जनता को पूँजीपतियों और यहुदियों के खिलाफ भड़काना शुरु किया। 1930 में जर्मनी ने 50 लाख से अधिक व्यक्ति बेकार हो गए थे। वे सभी हिटलर के समर्थक बन गए। अत: यह कहा जा सकता है कि आर्थीक संकट के चलते हिटलर तथा उसकी पार्टी को काफी सफलता मिली।
यहुदी विरोधी भावना- इस समय संपूर्ण जर्मनी में यहुदियों के खिलाफ असंतोष फैला हुआ था। जर्मनी की पराजय के लिए यहुदियों को ही उत्तरदायी ठहराया जा रहा था। हिटलर इसे भली- भांती जानता था। जनता का कद्र करते हुए उन्होंने यहुदियों को देश से निकालने की घोषणा की। हिटलर की इस घोषणा से जनता ने इसका साथ देना शुरु किया।
साम्यवाद का विरोध-
हिटलर के उदय का एक महत्वपूर्ण कारण साम्यवाद का विरोध भी था। हिटलर ने साम्यवादियों के खिलाफ नारा बुलंद किया और जनता का दिल जीत लिया। इस समय पूँजीपति, जमींदार, पादरी सभी साम्यवाद के बढ़ते हुए प्रभाव से आतंकित था। वे जर्मनी को साम्यवाद के चंगुल से मुक्त कराना चाहते थे। इसलिए हिटलर ने साम्यवाद की तीखी आलोचना की और इसके विकल्प में राष्ट्रीय समाजवाद का नारा बुलंद किया जो नाजी दल का दुसरा रूप था।
संसदीय परंपरा का अभाव-
वहाँ के संसदीय शासन में दुगुर्णों के चलते भी जनता में काफी असंतोष था। वे इस व्यवस्था को समाप्त करना चाहते थे। जब राजनीतिक व्यवस्था में लोगों का विश्वास घट जाता है तो तानाशाही के लिए रास्ता साफ हो जाता है जर्मन के साथ भी यही बात हुई। संसदीय शासन प्रणाली में जब उनका विश्वास समाप्त हो गया तो उन्होंने हिटलर का साथ देना शुरु किया।
जर्मनी जनता की प्रवृति-
जर्मनी जनता की अभिरुचि सैनिक जीवन में थी। वे स्वबाव से वीर और सैनिक प्रवृत्ति के थे परन्तु वर्साय की संधि के द्वारा वहाँ की सैनिक संख्या घटा दी गई थी। फलत: काफी संख्या में लोग बेरोजगार हो चुके थे। हिटलर तथा उनकी पार्टी के सदस्य जनता की स्थिति से भली भांति परिचित थे। अत: जब उन्होंने स्वंयसेवक सेना का गठन किया तो भारी संख्या में युवक उसमें भर्ती होने लगे। इससे बेकारी की समस्या का भी समाधान हुआ और हिटलर को उत्थान करने का मौका मिला।

हिटलर का व्यक्तित्व-

उपर्यूक्त सभी कारणों के अतिरिक्त हिटलर के अभ्यूदय का महत्वपूर्ण कारण स्वय उनका प्रभावशाली एवं आकर्षक व्यक्तित्व था वे उच्च कोटी के वक्ता थे। वे भाषण की कला में निपुण थे। उनकी वाणी जादू का काम करती थी और जनता का दिल जीत लेती थी। आधुनिक युग में प्रचार का काफी महत्व है। प्रचार वह शक्ति है जो झुठ को सच और सच को झुठ बना सकती है। संयोगवश हिटलर को महान प्रचारक मिल गया था। जिसका नाम था गोबुल्स उनक सिद्धांत था कि झुठ बातों को इतना दुहराओं कि वह सत्य बन जाए। इस तरह उनकी सहायता से जनता का दिल जितना हिटलर के लिए आसान हो गया। इस तरह हम देखते है कि हिटलर और उनकी पार्टी के अभ्युदय के अनेक कारण थे। जिनमें हिटलर का व्यक्तित्व एक महत्वपूर्ण कारण था और अपने व्यक्तित्व का उपयोग कर उन्होंने वर्साय संधि की त्रुटियों से जनता को अवगत कराया उन्हें अपना समर्थक बना लिया। यह ठीक है कि युद्धोतर जर्मन आर्थिक दृष्टि से बिल्कुल पंगु हो गया था वहाँ बेकारी और भुखमरी गई थी परन्तु हिटलर एक दूरदर्शी राजनितिज्ञ था। और उसने परिस्थिति से लाभ उठाकर राजसत्ता पर अधिपत्य कायम कर लिया।

जीवनी

उनकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वे वियना गए। कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वे पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगे। इसी समय से वे साम्यवादियों और यहूदियों से घृणा करने लगे। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब नाजी दल के नेता हिटलर ने अपने ओजस्वी भाषणों में उसे ठीक करने का आश्वासन दिया तो अनेक जर्मन इस दल के सदस्य हो गए। हिटलर ने भूमिसुधार करने, वर्साई संधि को समाप्त करने और एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य जनता के सामने रखा जिससे जर्मन लोग सुख से रह सकें। इस प्रकार 1922 . में हिटलर एक प्रभावशाली व्यक्ति हो गए। उन्होंने स्वस्तिक को अपने दल का चिह्र बनाया जो कि हिन्दुओ का शुभ चिह्र है समाचारपत्रों के द्वारा हिटलर ने अपने दल के सिद्धांतों का प्रचार जनता में किया। भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की टुकड़ी तैयार की गई। 1923 . में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया। इसमें वे असफल रहे और जेलखाने में डाल दिए गए। वहीं उन्होंने मीन कैम्फ ("मेरा संघर्ष") नामक अपनी आत्मकथा लिखी। इसमें नाजी दल के सिद्धांतों का विवेचन किया। उन्होंने लिखा कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है और जर्मन आर्य हैं। उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं। जर्मन लोगों को साम्राज्यविस्तार का पूर्ण अधिकार है। फ्रांस और रूस से लड़कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्ति करनी चाहिए।
हिटलर ने डॉ॰ जोज़ेफ गोयबल्स को अपना प्रचारमंत्री नियुक्त किया। नाज़ी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेलखानों में डाल दिया गया। कार्यकारिणी और कानून बनाने की सारी शक्तियाँ हिटलर ने अपने हाथों में ले ली। 1934 में उन्होंने अपने को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिंडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात् वे राष्ट्रपति भी बन बैठे। नाजी दल का आतंक जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया। 1933 से 1938 तक लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई। नवयुवकों में राष्ट्रपति के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करने की भावना भर दी गई और जर्मन जाति का भाग्य सुधारने के लिए सारी शक्ति हिटलर ने अपने हाथ में ले ली।
हिटलर ने 1933 में राष्ट्रसंघ को छोड़ दिया और भावी युद्ध को ध्यान में रखकर जर्मनी की सैन्य शक्ति बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। प्राय: सारी जर्मन जाति को सैनिक प्रशिक्षण दिया गया।
जब अमरीका द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया तो हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी। हिटलर के सैनिक अधिकारी उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे। जब रूसियों ने बर्लिन पर आक्रमण किया तो हिटलर ने 30 अप्रैल 1945, को आत्महत्या कर ली। 

अडोल्फ हिटलर के बारे में रोचक तथ्य

हिटलर से ज़्यादा भयावह इंसान शायद ही इस धरती पर पैदा हुआ है। अडोल्फ हिटलर एक ऐसा नाम जिसके नाम से सिर्फ़ जर्मनी ही नहीं बल्कि सारा विश्व एक समय में कांपता था. यहूदियों पर उसके द्वारा किये गये अत्याचार से एक बार ऐसा लगा जैसे इस दुनिया से मानवता ही खत्म हो गई हो. हिटलर के बारे में जितना भी पढ़ो कम ही लगता है।
1. Adolf Hitler की मां क्लारा हिटलर गर्भपात कराने का मन बना चुकी थीं, लेकिन ऐन वक्त पर Doctor ने इसके लिए मना कर दिया.
2. आस्ट्रिया में 20 अप्रैल, 1889 में जन्मे जर्मन तानाशाह हिटलर कभी अच्छी पढ़ाई नहीं कर पाया। वह कभी कॉलेज नहीं गये।
3. बचपन में अडोल्फ हिटलर पादरी बनने का सपना देखा करता थे। सिर्फ चार साल की उम्र में एक पादरी ने ही हिटलर को डूबने से बचाया था।
4. 1905 में पढ़ाई छोड़कर पेंटिंग में भाग्य आजमाया, लेकिन उसे ‘School of Art’ और अन्य आर्ट अकादमी में प्रवेश नहीं दिया गया। अंतत: हिटलर ने राजनीति की ओर रुख किया था।
5.माँ, तुम मुझे छोडकर क्यों चली गईं माँ…तुम्हें पता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ….अब मैं तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगा माँ…. तूने बहुत दुख झेले हैं माँ…. मैं भी तुझे कोई सुख नहीं दे पाया… अब तू चैन से सो जा माँ, सुनसान कब्रिस्तान में एक ताज़ी कब्र के पास बैठकर फूट-फूटकर रोता हुआ यह 18 साल का लड़का हिटलर था..
6. अडोल्फ हिटलर अपनी मां की मौत और Art school से दुसरी बार reject होने के बाद बेघर हो गया था।
7. प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सैनिकों ने एक घायल जर्मन सैनिक की जान बख्श दी थी। वह खुशनसीब सैनिक Adolf Hitler ही था, लेकिन बाद में इसने ही चुन-चुन के यहूदियों को कत्लेआम किया।
8. यहूदियों पर इतना अत्‍याचार करने के बाद हिटलर का पहला प्‍यार एक यहूदी लड़की ही थी। मगर हिटलर के पास उस समय इतनी भी हिम्‍मत नहीं थी कि वह उस लड़की से अपने प्‍यार का इजहार कर सकता।
9. 1936 में जब Germany में Olympic हुए थे तब भारत का मुकाबला जर्मनी से हुआ जिसमें हॉकी के जादुगर Major Dhyanchand की वजह से भारत ने जर्मनी को 8-1 से पटखनी दी थी. इस मैच को हिटलर भी देख रहा था और उसने मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर उन्हें अपनी सेना में उच्च पद देने ओर जर्मनी की तरफ से खेलने की पेशकश दी. मगर देशभक्त मेजर ध्यानचंद ने यह पेशकश मुस्कुराते हुए ठुकरा दी.
10. हिटलर की जिंदगी का वह दिन सबसे खुशी भरा था जब, सन 1938 में ‘Times Magzine’ ने हिटलर को “Man Of The Year” का टाइटल दिया था।
11. हिटलर को चॉकलेट बहुत पसंद थी और वह एक दिन में कम से कम एक किलो चॉकलेट जरूर खा जाता थे.
12. सन् 1939 में अडोल्फ हिटलर को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
13. Hitler ने England के राष्ट्रपति को विस्फोटक Chocolate से मारने का प्लान बनाया था. मगर वह नाकाम रहा।
14. शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि हिटलर के पास सिर्फ एक ही अंडकोष था। इसलिए वह कभी पिता नही बन पाया।
15. हिटलर सेक्स लाइफ को बढ़ाने के लिए बैल के वीर्य से बने इंजेक्शन का इस्तेमाल करता था, ताकि उसकी जवान गर्लफ्रेंड खुश रह सकें।
16. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से मुलाकात के वक्त जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। उसने अपनी किताब में भारत और भारतीय के बारे में कई आपत्तिजनक बातें लिखी थीं। जब नेताजी ने हिटलर से इन बातों का उल्लेख करते हुए हिटलर से नाराजगी जताई तो उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली थी। उन्होंने विवादित बाते हटाने का वादा भी किया था।
17. आधुनिक इतिहास में हिटलर वह पहला इंसान था जिसने धूम्रपान विरोधी अभियान का आगाज किया।
18. इतना कत्लेआम मचाने के बाद भी हिटलर शुद्ध रूप से शाकाहारी था। इतना ही नहीं, उसने पशु क्रूरता के खिलाफ एक कानून भी बना दिया।
19. हिटलर पेट फूलने की समस्या से ग्रस्त था। इसके लिए वह 28 तरीके की दवाइयां लेता था।
20. एडोल्फ हिटलर ने ‘Volkswagen Beetle Car’ बनाने का आइडिया एक यहूदी इंजीनियर के पास से चुराया था।
21. हिटलर की जाती नीति के कारण लगभग 1करोड़ 10 लाख लोगो की मौत हुई थी. दुसरे विश्व युद्ध के कारण लगभग 6 करोड़ लोगो ने अपनी जान गवाई थी.
22. हिटलर, ‘Charlie Chaplin’ का बहुत बड़ा प्रशंसक था. चार्ली चैपलिन की मूंछे उसे भा गईं और इस लिए हिटलर भी उन्ही की तरह मूंछे रखने लगा. हिटलर की मूंछो को ‘टुथब्रश मुछें’ कहा जाता है.
23. हिटलर ड्रग का लती था। वह हर रोज 80 प्रकार का ड्रग का सेवन करता था। उसका स्वास्थ्य काफी गिर गया था और शरीर हर समय कांपता रहता था। वह तो आईड्रॉप में भी दस फीसदी कोकीन मिलाता था।
24. अगर द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी न हारता, तो हिटलर ने परमाणु बम लगभग बना ही लिए थे।
25. सिकंदर महान, नेपोलियन और हिटलर ये सभी बिल्लियों से बहुत ज्यादा डरते थे।
26. आम तौर पर यह माना जाता है कि हिटलर ने अपनी पत्नी ईवा के साथ एक भूमिगत बंकर में आत्महत्या कर ली थी. और यह इतना बदनसीब था कि अपनी शादी की अगली सुबह भी नही देख पाया था।


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